ठंडे शरीर से मानो आत्मा फुर्र कर उड़ जाती है माँ, चाय ठंडी होने की बात करती है! ठंडे शरीर से मानो आत्मा फुर्र कर उड़ जाती है माँ, चाय ठंडी होने की बात करती ह...
वो खिड़की .. वो डहलियां .. वो ठंडी होती चाय वो खिड़की .. वो डहलियां .. वो ठंडी होती चाय
मिट्टी की महक और झाड़ियाँ लहराई, मारवाड़ की धरती में सुहानी ठंडी है छाई । मिट्टी की महक और झाड़ियाँ लहराई, मारवाड़ की धरती में सुहानी ठंडी है छाई ।
कहता है बार बार क्या यही होता है प्यार। कहता है बार बार क्या यही होता है प्यार।
खूबियां तेरी, मोल तेरा अब समझ पाई हूं मैं, सच ही तो है तेरी परछाई हूं मैं। खूबियां तेरी, मोल तेरा अब समझ पाई हूं मैं, सच ही तो है तेरी परछाई हूं मैं।
प्रकृति की नैसर्गिक क्रियाएँ भी बदल जाती है आकर के पास मेरे ! प्रकृति की नैसर्गिक क्रियाएँ भी बदल जाती है आकर के पास मेरे !